हेलो दोस्तों मैं आज आपको इस आर्टिकल में ही बताऊंगा कि भारतीय संविदा अधिनियम 1872 में संविदा की क्या परिभाषा दी गई है
आपको यहां पर संविदा अधिनियम 1872 में जितने भी सारे केस लॉज है उसके साथ में बताई जाएंगे,
संविदा विधि से आप क्या समझते हैं? और संविदा की परिभाषा क्या है !
भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 2 ( ज ) मे संविदा की परिभाषा दी गई है, इसके अनुसार " वह करार जो विधित : परिवर्तनीय हो संविदा है "
सरल शब्दों में यह कहा जा सकता है कि विधि द्वारा प्रवर्तनीय करार संविदा है
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 1872, अनेक विभिन्न विधिवेत्ताओ ने संविदा की अपनी अपनी परिभाषा दी है !
मुन्ना के अनुसार: - " विधि द्वारा प्रवर्तनीय प्रत्येक करार या वचन संविदा है !"
सामण के अनुसार : - " संविदा एक ऐसा करार है जो पक्षकारों के बीच दायित्वों का सर्जन एवं उन्हें परिभाषित करता है "
सर विलियम एन सन के अनुसार :- " संविदा से अभिप्राय दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच ऐसे करार हैं जो विधि द्वारा परिवर्तनीय हैँ तथा जिसके द्वारा एक या एक से अधिक पक्ष कार दूसरे पक्ष कार के विरुद्ध किसी काम को करने या करने से परविरथ रहने के लिए कतिपय अधिकार अर्जित कर लेता है या कर लेते हैं
भारतीय संविदा अधिनियम के तहत संविदा के करने के लिए मुख्य दो बातें आवश्यक है -
1. पक्षकारों के बीच किसी करार का होना,
2. ऐसे करार का विधि द्वारा परिवर्तनीय होना !
हेलो स्टूडेंट आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट कर बताएं और आपको जो भी लो से जुड़ी जानकारी चाहिए तो हमें कमेंट कीजिए हम उसका रिप्लाई जरूर करेंगे, और हां इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ में जरूर शेयर करें
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भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 2 ( ज ) मे संविदा की परिभाषा दी गई है, इसके अनुसार " वह करार जो विधित : परिवर्तनीय हो संविदा है "
सरल शब्दों में यह कहा जा सकता है कि विधि द्वारा प्रवर्तनीय करार संविदा है
भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 1872, अनेक विभिन्न विधिवेत्ताओ ने संविदा की अपनी अपनी परिभाषा दी है !
मुन्ना के अनुसार: - " विधि द्वारा प्रवर्तनीय प्रत्येक करार या वचन संविदा है !"
सामण के अनुसार : - " संविदा एक ऐसा करार है जो पक्षकारों के बीच दायित्वों का सर्जन एवं उन्हें परिभाषित करता है "
सर विलियम एन सन के अनुसार :- " संविदा से अभिप्राय दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच ऐसे करार हैं जो विधि द्वारा परिवर्तनीय हैँ तथा जिसके द्वारा एक या एक से अधिक पक्ष कार दूसरे पक्ष कार के विरुद्ध किसी काम को करने या करने से परविरथ रहने के लिए कतिपय अधिकार अर्जित कर लेता है या कर लेते हैं
भारतीय संविदा अधिनियम के तहत संविदा के करने के लिए मुख्य दो बातें आवश्यक है -
1. पक्षकारों के बीच किसी करार का होना,
2. ऐसे करार का विधि द्वारा परिवर्तनीय होना !
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